एक ख्वाब.......
एक ख्वाब था,
छोटा सा था पर
अनमोल था, किसीको पाने की एक
उम्मीद था। एक उम्मीद था,
हाँ इतना खास नहीं था पर वो आनेवाला था, उसके लौट आने की
भरोसा था। हाँ भरोसा तो था ,
टूट चुका है दिल मगर कुछ टुकड़ा तो था, गुमसुम सी इस रात में __ आशा की एक झलक था।
हाँ आशायें तो था ही,
सड़के सुनसान है मगर एक आवाज कहीं पर था, ये भीड़ तो मेरी धड़कन कि है अरे कुछ नहीं
ये तो मेरी तन्हाई था।
- S. P PRAVASINI
 
Comments
Post a Comment