फिर से वो दिन याद करते है......

 चलो, आज फिर से वो दिन याद करते है,

सुनी हुईं काहानिया किसी ओर को भी सुनाते है |

बिते कल की परछाई पिछा करती है.
बिते कल की परछाई पिछा करती है.
वो बचपन की यादे हमेशा याद आती है |

वो मां का प्यार, पापा की डाट,
भाई की दोस्ती...
जैसे समंदर मे कभी ना डूबने वाली  कश्ती |


हम तो चल रहे थे.. अपने मंजिल की ओर.
अरे,हम तो चल रहे थे.. अपने मंजिल की ओर...
पिछे मुडकर देखा तो दुसरी ओर था मेरे बचपन का मोड |

वो दो पल के किस्से भी बढे कमाल के होते है,
वो दो पल के किस्से भी बढे कमाल के होते है,
चंद मिनट की खुशी सारे गम भुला देती है |

अंकुश मोरे
ANKUSH MORE




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